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मार्च, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

शायरी-बात-बात पर वह तकरार करती है

1- बात-बात पर वह तकरार करती है मैं मानता हूं कमाई कम है घर चलाना मुश्किल है दिल से ऐसे उजड़ चुका हूँ अब घर बसाना मुश्किल है  2- सोचा था तुम्हारे साथ जुड़कर जिंदगी बदल जाएगी मगर यह सोच ही नहीं पाया असल जिंदगी में जो होने वाला था दिल में जो मोहब्बत थी उस मोहब्बत का जनाजा निकल चुका है  3- इंतजार था अपने दिल के जज्बातों का उनसे इजहार करने का सिर्फ आस रह गई वह मेरे गलियों में आए ही नहीं 4- हम अपने आप को बदल लेंगे पहले तुम खुद को बदलने की कोशिश करो जो देखे हैरान रह जाए कुछ ऐसे मोहब्बत करो

शायरी-वह मुझसे रूठने का बहाना ढूंढते हैं

वह मुझसे रूठने का बहाना ढूंढते हैं यह हकीकत है मुझसे यूं ही रूठकर किसी और से मिलने का बहाना ढूंढते हैं पर्दाफाश हो चुका है हर राज का मुझे होश आ चुका है मामूली सी बात पर इतना ज्यादा तकरार क्यों करते हैं

शायरी-हम तन्हाई में और ज्यादा जी नहीं पाएंगे

हम तन्हाई में और ज्यादा जी नहीं पाएंगे एक बार मेरे पास आकर कह दो तुम बेवफा नहीं हुई जो सुना है उससे मन क्षुब्ध हो चुका है मेरा दिल यह मानने को तैयार नहीं है कि तुम बेवफा हो चुकी हो  किसी वस्तु के लिए वह ऐसे इंकार करती है कि सामने वाले को बुरा नहीं लगता

शायरी-उसको मजा आता है मुझे सताने में

उसको मजा आता है मुझे सताने में काफी वक्त गुजार दिया मुझे आजमाने में सच में जो अपने दिल की बात कहूं तुमसे सुंदर कोई नहीं है इस जमाने में