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फासलों में प्यार की उम्मीद बाकी रह गई

फासलों में प्यार की उम्मीद बाकी रह गई करीब उसको लाने की आस बाकी रह गई जिसके बिना जिंदगी का गुजारा हो नहीं सकता वह प्यास बाकी रह गई व्यवस्था बिगड़ जाती है जब कोई दिल तोड़कर जाता है जान निकल जाती है जब कोई हमसफर बनने का वादा करें अधूरा छोड़कर कहीं और निकल जाए

शायरी-दिल के दर्द को बयान

                      Shayari   दिल के दर्द को बयान करने से कोई फायदा नहीं उसके दिल में जरा सी मोहब्बत नहीं है नफरतों की लौ जल रही है मेरा कसूर क्या है अभी तक समझ नहीं पाया बेवफा क्यों हुई कारण ढूंढने में लगा हूं किसी दुखी और मजबूर इंसान को देखकर कोई खुश हो तो समझ लेना उससे क्रूर व्यक्ति दुनिया में दूसरा और कोई नहीं हो सकता

शायरी-तन्हाई में मेरा दम घुट रहा है

तन्हाई में मेरा दम घुट रहा है कोई वफा का दरिया मिले जिसमें डूब जाए जो ऐसे हालात बने रहे गम इतना है जनाजा निकलने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा  मैं एक-एक पैसा जुटाता रहा घर परिवार बनाता रहा खुशियों में गुजरी जिंदगी भाग्यवान हूं जो खुदा ने इतना दिया है मोहब्बत के नाम पर धोखा मिला है कांटो का चुभन दर्द मिला है काश वक्त रहते उनके इरादों को समझ सका होता जिंदगी में इतनी ज्यादा तकलीफ नहीं होती पैसो के पीछे भागते हुए थक जाओगे थोड़ा ठहर कर देखो जिंदगी को थोड़ा आराम चाहिए

निरंतर अभ्यास करने वालों को

निरंतर अभ्यास करने वालों को सफलता जरूर मिलती है जो एक दो बार हारकर प्रयास करना छोड़ देते हैं उनके लिए मंजिल आस बनकर रह जाती है हार के कारणों को समझकर जो प्रयत्न जारी रखते हैं मंजिल उनको हासिल हो जाती है पर्दा लगाकर रखना हर सामान पर सबकी नजर अच्छी नहीं होती कुछ अच्छे भले लोगों का ईमान डगमगाते हुए देखा है

शायरी-जिंदगी मिली है अच्छा परिवार मिला है

जिंदगी मिली है अच्छा परिवार मिला है सद्भावना रखते हैं अच्छा संस्कार मिला है हर कोई प्यार करता है हर कोई चाहता है मुझे खुशियों का संसार मिला है  अहंकार उसके रग रग में है उसका इतराना देखकर हैरान रहता हूं आखिर खुदा ने किस घड़ी में बनाया होगा

शायरी-खुशनसीब हूं

खुशनसीब हूं यूं ही आपका प्यार मिलता रहे ये सिलसिला उम्र भर चलता रहे टूटकर चाहती हो मुझे इस तरह इसलिए प्यार पर विश्वास जिंदा है  चुभन होती है जब वह बेवफा मेरे सामने से उसकी बाहों में बाहें डालकर गुजरती है दिल ही दिल में ऐड कर रह जाता हूं हारा हुआ आशिक मजबूर हूं

शायरी- सिर्फ जुगाड़ में रह गया

सिर्फ जुगाड़ में रह गया कोई आया नहीं मेरे दिल के गरीब खाने में अकेलापन मेरे दिल में महसूस होता है ऐसा लगता है प्यार अपने मुकद्दर में नहीं है मैं आपके करीब नहीं आ पा रहा हूं या फिर आप मुझसे दूर भाग रहे हो आजकल इस हिसाब किताब में जुटा हूं हम दोनों के मोहब्बत में कितना वक्त लगेगा